Monday, 10 October 2022

चलते चलते

वो रेशम के चादर सी झीनी सी सरदी
वो मीठे से सूरज की हल्की सी गरमी
वो यमुना के पानी में आती `औ जाती
हमारे मुहब्बत की हल्की सी लहरें

चलो थाम लें मिल के इनको हम दोनों
कहीं खो न जाएँ ये पल चलते चलते..........

है खामोश तू भी `औ खामोश हम भी
फिजाओं में बिखरी है ख़ामोशी हल्की
मगर तेरी नजरों में दिल की उमंगें
छेड़े है उल्फ़त के सुर  हल्के-हल्के

चलो थाम लें मिल के इनको हम दोनों
कहीं खो न जाएँ ये पल चलते चलते.........

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