वो रेशम के चादर सी झीनी सी सरदी
वो मीठे से सूरज की हल्की सी गरमी
वो यमुना के पानी में आती `औ जाती
हमारे मुहब्बत की हल्की सी लहरें
फिजाओं में बिखरी है ख़ामोशी हल्की
मगर तेरी नजरों में दिल की उमंगें
छेड़े है उल्फ़त के सुर हल्के-हल्के
वो मीठे से सूरज की हल्की सी गरमी
वो यमुना के पानी में आती `औ जाती
हमारे मुहब्बत की हल्की सी लहरें
चलो थाम लें मिल के इनको हम दोनों
कहीं खो न जाएँ ये पल चलते चलते..........
है खामोश तू भी `औ खामोश हम भीकहीं खो न जाएँ ये पल चलते चलते..........
फिजाओं में बिखरी है ख़ामोशी हल्की
मगर तेरी नजरों में दिल की उमंगें
छेड़े है उल्फ़त के सुर हल्के-हल्के
चलो थाम लें मिल के इनको हम दोनों
कहीं खो न जाएँ ये पल चलते चलते.........
कहीं खो न जाएँ ये पल चलते चलते.........