Sunday, 10 April 2011

अभी कल ही............

कल हमने दिन में रात होते देखी
सूरज से चांदनी की मुलाकात होते देखी
किसी ने कहा क़यामत तो किसी ने जलवा-ए-हुश्न
हमने अपनी बस्ती-ए-दिल तमाम होते देखी


लोग कहते हैं कि नजरों कि जुवां नहीं होती
हमने इन आँखों कि आँखों से बात होते देखी
वादी-ए-दिल में जुल्फों कि घटा यूँ लहराई "बादल"
कि, पलकों तले भि हल्की बरसात होते देखी

1 comment:

  1. bahut achhe se baras rahe he hame dar he ki kahi badh na aa jaye . are tute hue dil itna kyo barsata he.

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