आज फिर हमको वो कसम याद आई है
आज फिर आँखों में दो बूँद उतर आई है
आज फिर आँखों में दो बूँद उतर आई है
आज फिर..........
बस्ती-ए-दिल थी गुलजार फ़कत होने से
आज क्यूँ इसमें वीरानी सी इक छाई है
आज फिर दिल में तेरी याद उतर आई है
साथ मेरे तेरी यादों की परछाई है
आज क्यूँ इसमें वीरानी सी इक छाई है
आज फिर..........
ऐ चाँद तू उनसे कह देना मगर चुपके से आज फिर दिल में तेरी याद उतर आई है
आज फिर..........
रास्ते हैं सूने जिन्दगी के लेकिन/मगरसाथ मेरे तेरी यादों की परछाई है
आज फिर...........
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VERY NICE LINES
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